Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी का व्रत करने से मिलता है वैवाहिक सुख, जानें क्यों लगता है अरबी का भोग

राधा अष्टमी: राधा रानी को अरबी का भोग, भक्तों ने रखा व्रत
राधा अष्टमी का व्रत करने से मिलता है वैवाहिक सुख, जानें क्यों लगता है अरबी का भोग

नई दिल्ली: राधा अष्टमी का पर्व रविवार को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्म का प्रतीक है। राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि राधा जी श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय हैं और बिना राधा के कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। राधा अष्टमी की पूजा में कई परंपराएं निभाई जाती हैं, जिनमें एक खास बात यह है कि राधा रानी को अरबी का भोग चढ़ाया जाता है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय माना गया है।

राधा अष्टमी का पर्व खासतौर पर उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है; खासकर मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल में इसकी भव्यता देखते ही बनती है। इस दिन मंदिरों में झूले सजाए जाते हैं, राधा-कृष्ण की झांकियां निकाली जाती हैं और जगह-जगह भजन-कीर्तन होते हैं। घरों में भी लोग राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

इस व्रत को करने से मनोकामना पूरी होती है, जीवन में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है। जो लोग शादी में देरी, दांपत्य जीवन में कलह या संतान से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है।

राधा अष्टमी व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। व्रत के दिन केवल फल, दूध, मेवे या पानी लेकर उपवास किया जाता है। नमक और अनाज से परहेज किया जाता है। साथ ही इस दिन गुस्सा करने, झूठ बोलने, बुरा बोलने या नकारात्मक सोच से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

पूजा से पहले घर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। फिर राधा रानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को किसी पवित्र स्थान पर रखें। सबसे पहले पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से उनका अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और फूल, चंदन, कुमकुम, रोली, धूप-दीप, माला और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।

राधा अष्टमी की पूजा में खास महत्व भोग का होता है। आमतौर पर खीर, माखन-मिश्री, फल, और मिठाई जैसे भोग लगाए जाते हैं, लेकिन राधा रानी को अरबी का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। यह एकमात्र देवी-देवता हैं जिनकी पूजा में अरबी का उपयोग होता है। अरबी एक तरह की सब्जी है, जो कंद मूल होती है। उपवास में अक्सर इसे नहीं खाया जाता, लेकिन राधा अष्टमी पर इसे भोग लगाना शुभ माना गया है। मान्यता है कि राधा रानी को यह भोग अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

पूजा के दौरान "ॐ वृषभानुज्यै विधमहे, कृष्णप्रियायै धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात" आदि राधा रानी के मंत्रों का जाप करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

अगले दिन व्रत का पारण करें, यानी हल्का सात्विक भोजन करके व्रत समाप्त करें।

 

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