Chirag Paswan On Bihar Opposition: विपक्ष में बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की हिम्मत नहीं : चिराग पासवान

चिराग पासवान बोले- विपक्ष सिर्फ बयानबाजी करता है, चुनाव बहिष्कार की हिम्मत नहीं।
विपक्ष में बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की हिम्मत नहीं : चिराग पासवान

पटना:  केंद्रीय मंत्री और लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा है कि विपक्ष में बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की हिम्मत नहीं है। विपक्ष सत्ता का भूखा है।

मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, "बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) चुनाव आयोग करा रहा है, जो संवैधानिक संस्था है। इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है। इस विषय पर विपक्ष में विरोधाभास है, जो मुझे समझ नहीं आता। एसआईआर की प्रक्रिया विपक्ष की मांग पर ही चुनाव आयोग ने शुरू की है। विपक्ष हर चुनाव के बाद चुनाव आयोग के पास जाकर फर्जी वोट और वोटिंग में धांधली की शिकायत करता रहा है। महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद विपक्ष ने हम पर आरोप लगाए थे। इन्हीं शिकायतों को दूर करने के लिए एसआईआर की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। पूर्व में भी आयोग ने ऐसे अभियान चलाए हैं। इस बार तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी मतदाता के साथ अन्याय न हो और किसी भी घुसपैठिए को वोट का अधिकार न मिले। जहां तक धांधली की बात है, तो आपके कार्यकर्ता क्या कर रहे हैं? अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से यह सुनिश्चित करें कि कहीं कोई धांधली नहीं है। लेकिन, विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ता जमीन पर उतरना ही नहीं चाहते हैं।

विपक्षी पार्टियों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किए जाने की धमकी पर चिराग ने कहा कि विपक्ष बहिष्कार की बात कर रहा है। हम चुनौती देते हैं कि बहिष्कार करके दिखाइए। सत्ता का लालच इन लोगों में इतना ज्यादा है कि ये चुनाव के बहिष्कार की सोच भी नहीं सकते। महागठबंधन सत्ता के लिए ही बना है। ये लोग कहीं एक साथ हो जाते हैं तो कहीं एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में विपक्ष के पास चुनाव का बहिष्कार करने की हिम्मत नहीं है।

कैग की रिपोर्ट में 70 हजार करोड़ रुपए का बिहार सरकार ने कोई हिसाब नहीं दिया है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने यह रिपोर्ट अभी पढ़ी नहीं है, लेकिन जो जानकारी मिली है, उसमें 70,000 करोड़ का जिक्र किया गया है, जिसका हिसाब नहीं है। जनता के पैसे के दुरुपयोग की इजाजत किसी भी व्यवस्था में नहीं दी जा सकती है।

 

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