Bihpur Political History : बिहपुर में कांटे की टक्कर, एनडीए-महागठबंधन की नजरें मतदाताओं पर टिकी

बिहपुर में बदलते राजनीतिक समीकरण और भविष्य की चुनावी चुनौती
बिहार चुनाव : बिहपुर में कांटे की टक्कर, एनडीए-महागठबंधन की नजरें मतदाताओं पर टिकी

भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले का बिहपुर विधानसभा क्षेत्र अपनी भौगोलिक और राजनीतिक खासियतों के लिए जाना जाता है। गंगा, कोसी और बूढ़ी गंडक नदियों से घिरा यह क्षेत्र उपजाऊ भूमि के कारण कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था का केंद्र है।

भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो भागलपुर जिला मुख्यालय से मात्र 19 किमी दूर बिहपुर, नवगछिया और सुल्तानगंज जैसे कस्बों के करीब है। 1951 में स्थापित, बिहपुर विधानसभा क्षेत्र भागलपुर लोकसभा के अंतर्गत नारायणपुर, बिहपुर और खरीक विकास खंडों को समेटे हुए है। इस क्षेत्र के मतदाता विकास की तलाश में बार-बार अपने प्रतिनिधि बदलते रहे हैं।

अगर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य की बात करें तो 1952 से अब तक 17 विधानसभा चुनावों में कोई भी पार्टी शुरुआती दौर (1952-1969) में लगातार दो बार जीत नहीं पाई। कांग्रेस (1952, 1962), सीपीआई (1957) और भारतीय जनसंघ (1967) ने बारी-बारी से जीत दर्ज की। 1969 से रुझान बदला, जब सीपीआई (1969-1977), कांग्रेस (1980-1985), जनता दल (1990-1995) और राजद (2000-2005) ने लगातार जीत हासिल की। हाल के वर्षों में, भाजपा ने 2010 और 2020 में, जबकि राजद ने 2015 में जीत दर्ज की।

2020 में भाजपा ने राजद से 6,129 वोटों के अंतर से सीट छीनी, लेकिन 2010 में उसकी जीत मात्र 465 वोटों से थी। 2015 में राजद ने 12,716 वोटों से जीत हासिल की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की सहयोगी जदयू को बिहपुर में केवल 4,855 वोटों की बढ़त मिली, जो दर्शाता है कि 2025 में भाजपा के लिए सीट बचाना चुनौतीपूर्ण होगा।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, बिहपुर की कुल आबादी 4,52,608 है, जिसमें 2,36,107 पुरुष और 2,16,501 महिलाएं हैं। कुल मतदाता 2,68,664 हैं, जिनमें 1,41,924 पुरुष, 1,26,718 महिलाएं और 22 थर्ड जेंडर शामिल हैं।

बिहपुर में कृषि, बाढ़ और बेरोजगारी जैसे मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। लोगों का मानना है कि मतदाताओं का विश्वास जीतने और स्थानीय मुद्दों पर फोकस करने वाली पार्टी को बढ़त मिल सकती है।

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