मुर्शिदाबाद हिंसा पर जांच कमेटी की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल पुलिस सवालों के कठघरे में, भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार को घेरा

मुर्शिदाबाद हिंसा रिपोर्ट पर अमित मालवीय का हमला—ममता राजनीति पर धब्बा हैं
मुर्शिदाबाद हिंसा पर जांच कमेटी की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल पुलिस सवालों के कठघरे में, भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार को घेरा

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट को लेकर सीएम ममता बनर्जी को घेरा। उन्होंने इस रिपोर्ट के संबंध में अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर कहा कि 'ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की राजनीति पर एक धब्बा हैं।'

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से यह साफ जाहिर होता है कि मुर्शिदाबाद हिंसा को नियंत्रित करने की दिशा में उनकी सरकार की तरफ से संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत, उनकी पार्टी के नेताओं ने हिंसा को भड़काने का प्रयास किया।

भाजपा नेता ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का जिक्र करते हुए ममता बनर्जी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जब हिंदुओं के घरों को उपद्रवी निशाना बना रहे थे, तब ममता बनर्जी की पुलिस मूकदर्शक बनकर यह सब दृश्य देख रही थी। पुलिस-प्रशासन की तरफ से किसी भी प्रकार का कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने कहा कि यह एक विश्वसनीय रिपोर्ट है, क्योंकि इसे कलकत्ता उच्च न्यायालय की तरफ से गठित टीम ने तैयार किया है। इस टीम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के एक सदस्य और न्यायिक सेवाओं के अधिकारी शामिल हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इस रिपोर्ट ने ममता बनर्जी के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुर्शिदाबाद हिंसा के लिए बाहरी तत्व जिम्मेदार हैं। सच्चाई तो यह है कि इस दंगे को हिंदुओं की संख्या में कमी लाने के लिए अंजाम दिया गया था।

मालवीय ने ममता बनर्जी को 'पश्चिम बंगाल की राजनीति पर लगा एक धब्बा' बताया। लिखा, " उनकी राजनीतिक स्थिति पश्चिम बंगाल की मूल भावना का उल्लंघन करती है। पश्चिम बंगाल बंगाली हिंदुओं के लिए मातृभूमि है, न कि वोट बैंक और हिंसा के खेल का मैदान।"

बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट सौंप दी है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के संबंध में रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट में स्थानीय नेताओं और पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपद्रवियों ने अपने चेहरे ढंके हुए थे, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। बेटबोना गांव में उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था। यहां पर 113 घर जला दिए गए थे। उपद्रवियों ने मंदिरों को भी निशाना बनाया था। आरोप है कि 11 अप्रैल 2025 को धुलियान नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मेहबूब आलम ने इस हिंसा को अंजाम दिया था। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की थी।

स्थानीय प्रशासन पर कुछ गंभीर सवाल भी उठाए गए हैं। कहा गया है कि प्रशासन की तरफ से हिंसाग्रस्त इलाकों में किसी भी व्यक्ति की मदद नहीं की गई और न ही इस हिंसा में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। जिस तरह से इस हिंसा को अंजाम दिया गया, उससे यह साफ जाहिर होता है कि यह सुनियोजित था, जिसे पूरे व्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया गया।

--आईएएनएस

 

 

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