Akhurath Sankashti Chaturthi : ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, खत्म हो जाते हैं ग्रहबाधा और कर्ज जैसे दोष

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और व्रत का महत्व
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी:  ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, खत्म हो जाते हैं ग्रहबाधा और कर्ज जैसे दोष

मुंबई: हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन पौष माह में 'अखुरथ संकष्टी चतुर्थी' मनाई जाती है, जो कि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। इस तिथि को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 8 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।

पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गजानन की पूजा करने से साधक हर काम में सफलता हासिल करता है। साथ ही माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रख सकती हैं।

इस व्रत की शुरुआत करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।

इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दूर्वा, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करने के बाद श्री गणपति को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का दान ब्राह्मणों को करें और 5 भगवान के चरणों में रख बाकी प्रसाद में वितरित करें।

पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, और संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। शाम के समय गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है।

संकटों से मुक्ति के लिए चतुर्थी की रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए 'सिंहिका गर्भसंभूते चन्द्रमांडल सम्भवे। अर्घ्यं गृहाण शंखेन मम दोषं विनाशय॥' मंत्र बोलकर जल अर्पित करें। यदि संभव हो तो चतुर्थी का व्रत रखें, जिससे ग्रहबाधा और ऋण जैसे दोष शांत होते हैं।

--आईएएनएस

 

 

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