Dibyendu Barua Biography : मोहरों के माहिर खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर दिब्येंदु बरुआ, शतरंज की बिसात पर बिखेरा जलवा

दिब्येंदु बरुआ ने भारतीय शतरंज को नई दिशा और पहचान दी
मोहरों के माहिर खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर दिब्येंदु बरुआ, शतरंज की बिसात पर बिखेरा जलवा

नई दिल्ली: भारत के मशहूर शतरंज खिलाड़ी दिब्येंदु बरुआ ने साल 1991 में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया था। वह विश्वनाथन आनंद के बाद भारत के दूसरे ग्रैंडमास्टर बने। बॉबी फिशर से प्रेरित बरुआ ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में देश का नाम रोशन करते हुए भारतीय शतरंज को नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।

27 अक्टूबर 1966 को कोलकाता में जन्मे बरुआ बचपन से ही शतरंज के दीवाने थे। यही उनका पहला प्रेम था। दिब्येंदु बरुआ महज 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे। साल 1982 में दिब्येंदु बरुआ ने पूर्व विश्व चैंपियन मिखाइल ताल को शिकस्त देकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी। उस समय दिब्येंदु महज 16 वर्ष के थे।

साल 1983 में 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित दिब्येंदु बरुआ साल 1991 में प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाले दूसरे भारतीय बने। उनसे पहले ये उपलब्धि विश्वनाथन आनंद हासिल कर चुके थे। ये वो दौर था, जब भारत में शतरंज का बुनियादी ढांचा और समर्थन न्यूनतम था। इस खेल को विश्वनाथन आनंद के बाद दिब्येंदु बरुआ की जीत ने युवाओं को गंभीरता से अपनाने के लिए प्रेरित किया।

दिब्येंदु बरुआ की शैली बेहद आक्रामक और रचनात्मक थी। वह दबाव में भी संयमित रहते। उन्होंने कई शतरंज ओलंपियाड और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वैश्विक शतरंज समुदाय में देश का नाम रोशन किया।

दिब्येंदु बरुआ ने भारत में शतरंज को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने जैसे होनहार युवा खिलाड़ियों को निखारने के लिए साल 2005 में कोलकाता में दिब्येंदु बरुआ शतरंज अकादमी की स्थापना की। इस अकादमी से कई बेहतरीन खिलाड़ियों ने विभिन्न स्तरों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

एक चुनौतीपूर्ण दौर में वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करते हुए सफलता का मुकाम छूने वाले दिब्येंदु बरुआ ने युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर नई पीढ़ी के ग्रैंडमास्टर तैयार करने में अहम योगदान दिया है। शतरंज में उनके इस उत्कृष्ट योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

 

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...