Anchita Sheuli : बचपन में पिता को खोया, घर चलाने के लिए मां के साथ मिलकर किया काम, चुनौतियों से लड़कर वेटलिफ्टर बने

अंचिता शेउली—संघर्ष से सोना जीतने तक की प्रेरक खिलाड़ी यात्रा
अंचिता शेउली : बचपन में पिता को खोया, घर चलाने के लिए मां के साथ मिलकर किया काम, चुनौतियों से लड़कर वेटलिफ्टर बने

नई दिल्ली: वेटलिफ्टर अंचिता शेउली ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम के बूते पहचान बनाई है। इस युवा प्रतिभा ने कई प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। शेउली की मेहनत और फिटनेस ने उन्हें बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल जिताया।

अंचिता शेउली का जन्म 24 नवंबर 2001 को हुआ था। पिता एक मजदूर थे। ऐसे में किसी तरह परिवार का गुजर-बसर हो पाता था। कोलकाता के पास देउलपुर में पले-बढ़े अंचिता शेउली के बड़े भाई आलोक एक वेटलिफ्टर थे, जिन्हें देखकर अंचिता ने इस खेल को चुना।

दरअसल, अंचिता बेहद शर्मीले थे। भाई चाहते थे कि अंचिता निडर बनें। यही वजह रही कि उन्होंने अपने छोटे भाई को इस खेल से परिचित करवाया।

साल 2013 अंचिता के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। इस साल उनसे सिर से पिता का साया उठ गया और परिवार आर्थिक परेशानी से जूझने लगा।

मां पूर्णिमा ने परिवार के गुजर-बसर के लिए एक साथ दो-दो जगह पर काम करना शुरू कर दिया। इस बीच भाई आलोक भी समझ चुके थे कि घर की माली हालत अच्छी नहीं है। ऐसे में उन्होंने भी काम करना शुरू कर दिया, ताकि परिवार के लिए दो पैसे अपनी ओर से भी जोड़ सकें।

मां और भाई को काम करता देखकर अंचिता ने भी उनसे साथ काम करना शुरू कर दिया। तीनों कोलकाता में कपड़ों पर कढ़ाई का काम करते। इस बीच आलोक वेटलफ्टिंग छोड़ चुके थे, लेकिन उन्होंने अंचिता को इसे जारी रखने के लिए लिए प्रेरित किया।

महज 12 साल की उम्र में अंचिता सुबह कढ़ाई का काम करते, जिसके बाद वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग के लिए जाते। इसके बाद वह स्कूल जाते और फिर वापस लौटकर ट्रेनिंग करते।

साल 2014 में आखिरकार, अंचिता की मेहनत रंग लाई। इस वर्ष जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में वह चौथे स्थान पर रहे। भले ही अंचिता पदक नहीं जीत सके, लेकिन पुणे स्थित सेना खेल संस्थान के कोच ने उनके टैलेंट को पहचान लिया।

साल 2015 में आयोजित यूथ नेशनल गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद उन्होंने इसी साल यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीता।

साल एशियन यूथ चैंपियनशिप 2018 में देश को सिल्वर मेडल दिलाया। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2018 में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलने लगा। कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2019 में उन्होंने जूनियर और सीनियर श्रेणियों में गोल्ड जीते। इस बीच अंचिता को भारतीय सेना में हवलदार का रैंक मिला।

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2021 में गोल्ड के साथ अंचिता ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। वह इसी साल जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने।

1 अगस्त 2022 को अंचिता ने पुरुषों के 73 किलोग्राम भारवर्ग में रिकॉर्ड कायम करते हुए 313 किग्रा (स्नैच में 143 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 170 किग्रा) भार उठाते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता। यह स्नैच में रिकॉर्ड था।

अंचिता की मेहनत और अनुशासन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया है कि वह भी वेटलिफ्टिंग को अपना करियर बनाएं। अंचिता जैसे वेटलिफ्टर को देखकर युवाओं ने फिटनेस, स्पोर्ट्स और हेल्दी लाइफस्टाइल को अधिक महत्व दिया है।

--आईएएनएस

 

 

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