Nagaland Statehood : नगालैंड की आदिवासी विविधता और अनोखी विरासत गर्व का स्रोत: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नागालैंड राज्य दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू और एलजी सिन्हा की शुभकामनाएं
नगालैंड की आदिवासी विविधता और अनोखी विरासत गर्व का स्रोत: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को नगालैंड के लोगों को उनके राज्य दिवस पर शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में राष्ट्रपति मुर्मू ने नगालैंड के लोगों के उज्ज्वल, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य की कामना की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "नगालैंड के लोगों को राज्य स्थापना दिवस पर हार्दिक बधाई। समृद्ध संस्कृति और बेशुमार प्राकृतिक सुंदरता से धन्य, नगालैंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट में लगातार सराहनीय प्रगति कर रहा है। इसकी आदिवासी विविधता और अनोखी विरासत गर्व का स्रोत बनी हुई है। मैं नगालैंड के लोगों के उज्ज्वल, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य की कामना करता हूं।"

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "नगालैंड के लोगों को उनके राज्य स्थापना दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं। नगालैंड राज्य समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता से धन्य है। मैं प्रार्थना करता हूं कि राज्य आगे बढ़ता रहे और इसके लोगों को स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि का आशीर्वाद मिले।"

नगालैंड को 1 दिसंबर 1963 को आधिकारिक तौर पर एक अलग राज्य के तौर पर मान्यता दी गई थी और कोहिमा को इसकी राजधानी घोषित किया गया था।

1947 में भारत की आजादी के बाद नगा इलाका असम का हिस्सा बना रहा, लेकिन जल्द ही एक मजबूत राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू हो गया, जिसमें नगा जनजातियों की राजनीतिक एकता की मांग की गई और कट्टरपंथी ग्रुप भारतीय संघ से पूरी तरह अलग होने की मांग कर रहे थे।

1957 में असम के नगा हिल्स इलाके और तुएनसांग फ्रंटियर डिवीजन को भारत सरकार के सीधे नियंत्रण में एक ही एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट में मिला दिया गया। 1960 तक यह तय हो गया था कि नगालैंड भारतीय संघ का एक हिस्सा बनेगा। नगालैंड को 1963 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और अगले साल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार ने कार्यालय संभाला।

राज्य दिवस के जश्न के साथ ही दस दिन का हॉर्नबिल फेस्टिवल एक बार फिर शुरू हुआ, जिसमें सभी बड़े नगा कबीले लोकगीत, संगीत, क्राफ्ट और खाने के जरिए अपनी जीती-जागती परंपराओं को दिखाने के लिए एक साथ आए।

-- आईएएनएस

 

 

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