Tripushkar Yog Benefits : पौष द्वादशी पर मंगलवार का अद्भुत संयोग, जानें महत्व और पूजा विधि

त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्यों का विशेष फल, हनुमान पूजा से मिलेगा लाभ
पौष द्वादशी पर मंगलवार का अद्भुत संयोग, जानें महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली: पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि में और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर शाम 4 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। द्वादशी तिथि पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है।

ज्योतिष शास्त्र में त्रिपुष्कर योग अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। यह योग तब बनता है जब रविवार, मंगलवार, या शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी, या द्वादशी में से कोई एक तिथि हो।

ऐसी मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य तीन गुना ज्यादा सफल होते हैं। यह योग विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति क्रय, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद या नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत उत्तम होता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से उसका प्रभाव स्थायी, त्रिगुणित और दीर्घकालिक होता है।

इसी के साथ ही इस तिथि पर मंगलवार भी है। अगर किसी जातक के जीवन में मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं हैं, तो वे मंगलवार का भी व्रत या राम भक्त हनुमान की पूजा कर सकते हैं। हनुमान जी को मंगल ग्रह के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर हो जाती हैं।

इस दिन अंजनी पुत्र का पूजन करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें।

शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है।

--आईएएनएस

 

 

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