Azad Malik PMLA Case : ईडी ने पाकिस्तानी नागरिक के खिलाफ दायर की शिकायत, हवाला और जाली दस्तावेजों का खुलासा

पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, हवाला और फर्जी दस्तावेज केस में फंसा
कोलकाता : ईडी ने पाकिस्तानी नागरिक के खिलाफ दायर की शिकायत, हवाला और जाली दस्तावेजों का खुलासा

 

कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय ने विशेष पीएमएलए न्यायालय में पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक उर्फ अहमद हुसैन आजाद के खिलाफ शिकायत दर्ज की है।

न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ नोटिस जारी किया और सुनवाई की तारीख तय की। ईडी ने पश्चिम बंगाल पुलिस की एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14 और 14ए के उल्लंघन का आरोप था।

इस साल 15 अप्रैल को हुई तलाशी में आजाद मलिक, जिसे पहले बांग्लादेशी नागरिक माना गया था, बिना वैध दस्तावेजों के भारत में रहता पाया गया।

वह अवैध प्रवासियों के लिए जाली भारतीय पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज तैयार करने में शामिल था। इसके बाद उसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया। वह 14 दिन तक ईडी की हिरासत में रहा और अब न्यायिक हिरासत में है।

जांच में पता चला कि आजाद मलिक, जिसका असली नाम अहमद हुसैन आजाद है, एक पाकिस्तानी नागरिक है।

उसके मोबाइल फोन से 1994 का एक पाकिस्तानी ड्राइविंग लाइसेंस मिला, जिसमें उसका नाम, पिता का नाम (मुमताज-उल-हक) और पाकिस्तान का पता दर्ज था।

अपनी असली पहचान छिपाने के लिए उसने "आजाद मलिक" नाम अपनाया और जाली दस्तावेजों के जरिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी और भारतीय पासपोर्ट हासिल किया।

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि अहमद हुसैन ने भारत और बांग्लादेश के बीच हवाला नेटवर्क चलाया। वह नकद और यूपीआई के जरिए पैसे इकट्ठा करता और 'बिकाश' जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से बांग्लादेश में राशि भेजता था। वह दुबई, कंबोडिया और मलेशिया जैसे देशों में जाने की चाहत रखने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए फर्जीवाड़ा कर वीजा और पासपोर्ट बनवाने में भी शामिल था।

इसके लिए वह बांग्लादेशी टका, यूएसडी या भारतीय रुपए में भुगतान लेता और उसे अपने या सहयोगियों के खातों में जमा करता।

इसके अलावा, उसने कोलकाता के कुछ विदेशी मुद्रा विनिमयकर्ताओं के साथ मिलकर धोखाधड़ी की, जिसमें अवैध रूप से कमाए गए पैसे को वैध विदेशी मुद्रा बिक्री के रूप में दिखाया गया।

यह पैसा मुख्य रूप से जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों के लिए पासपोर्ट बनाने से आता था। ईडी की इस मामले में जांच जारी है।

 

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