SIR Process Debate : 'सरकार संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में जुटी', एसआईआर पर बोले विपक्षी सांसद

विपक्ष ने एसआईआर पर बहस की मांग की, सरकार पर संवैधानिक ढांचा तोड़ने का आरोप
'सरकार संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में जुटी', एसआईआर पर बोले विपक्षी सांसद

नई दिल्ली: सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। विपक्ष मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर चर्चा की मांग पर अड़ा है। संसद के बाहर भी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की जा रही है। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाए कि सरकार पूरी संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में जुटी है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार ने देश में नीति और गणतंत्र को खत्म कर दिया है। पहले जनता तय करती थी कि कौन सरकार बनाएगा, लेकिन आज के समय में चुनाव आयोग के जरिए सरकार तय कर रही है कि कौन-कौन मतदाता बनेगा।

बिहार के पूर्णिया से सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने आईएनएस से बातचीत में कहा कि सरकार पूरी संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में जुटी है। देश में गणतंत्र के बचने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार डरे नहीं, विपक्ष का सामना करे।

कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा, "देश में सबसे बड़ा मुद्दा 'वोट चोरी' का है। हालात के बावजूद इलेक्शन कमीशन कोई जवाब नहीं दे रहा है। सरकार ने खुद को जवाबदेही से बाहर कर लिया है। कोई उस पर सवाल नहीं उठा सकता और कोई शिकायत नहीं की जा सकती। हम चाहते हैं कि इस पर चर्चा हो।"

वहीं, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने एसआईआर प्रक्रिया में जुटे बीएलओ की मौत का विषय उठाया। उन्होंने सवाल किया कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इतनी जल्दबाजी में क्यों एसआईआर कराया जा रहा है।

उन्होंने मांग की कि एसआईआर का समय बढ़ाया जाए। डिंपल यादव ने दावा किया कि अभी तक सिर्फ 65 प्रतिशत लोग ही फॉर्म भर पाए हैं। 35 प्रतिशत फॉर्म बाकी हैं। उन्होंने पूछा कि बीएलओ पर दबाव है और इसी कारण वे आत्महत्या कर रहे हैं। इसके लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है?

डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने भी सवाल किया कि एसआईआर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए इतना कम समय क्यों दिया गया है? उन्होंने कहा कि बीएलओ पर बहुत ज्यादा प्रेशर है। कुछ ने सुसाइड भी कर लिया या मर गए हैं, क्योंकि वे इसे संभाल नहीं पाए।

एसआईआर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सांसद महुआ माजी ने भी चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि इस पर बहस होनी चाहिए, खासकर इसलिए क्योंकि ऐसा लगता है कि एसआईआर झारखंड में भी लागू होगा। उन्होंने कहा कि कुछ भी गलत नहीं होना चाहिए और लोगों को खुद को साबित करने का मौका मिलना चाहिए।

--आईएएनएस

 

 

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