Margashirsha Purnima Vrat : भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से पूरी होती है मनोकामना, पूजा करते समय एक गलती बिल्कुल न करें

मार्गशीर्ष पूर्णिमा और गुरुवार व्रत पर शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यताएं
गुरुवार व्रत: भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से पूरी होती है मनोकामना, पूजा करते समय एक गलती बिल्कुल न करें

नई दिल्ली: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 4 दिसंबर सुबह 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

अग्नि पुराण, बृहस्पति स्मृति और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गुरुवार के दिन विधि-विधान से पूजा करने से जातक को धन, विद्या और वैवाहिक सुख-सौभाग्य में लाभ मिलता है।

माना जाता है कि इस दिन श्री हरि की विशेष पूजा और व्रत करने व कथा सुनने मात्र से ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ग्रंथों में उल्लेख है कि अगर व्रत के दिन नियमों का पालन न किया जाए, तो भगवान श्री हरि विष्णु नाराज भी हो जाते हैं। अगर कोई भी जातक गुरुवार व्रत की शुरुआत करना चाहता है, तो वह किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से कर सकता है और 16 गुरुवार व्रत रख कर उद्यापन कर दे।

माना जाता है कि जो इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रहे कि पीली चीजों का सेवन न करें।

जो जातक व्रत नहीं रख सकते, वे विधि-विधान से पूजा कर या तो व्रत कथा सुनें या फिर पढ़ लें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसी कारण गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है।

--आईएएनएस

 

 

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