Maharashtra Language Row: कांग्रेस सरकार ने दी थी मराठी भाषा को प्राथमिकता : रमेश चेन्निथला

भाषा विवाद पर बोले रमेश चेन्निथला- कांग्रेस ने मराठी को दी थी प्राथमिकता, भाजपा कर रही राजनीति
कांग्रेस सरकार ने दी थी मराठी भाषा को प्राथमिकता : रमेश चेन्निथला

नई दिल्ली:  महाराष्ट्र से ‘भाषा’ को लेकर शुरू हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने ही मराठी भाषा को प्राथमिकता दी थी। अब भाजपा सरकार यह अनावश्यक मुद्दा उठा रही है।

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "कांग्रेस पार्टी के अपने सिद्धांत हैं। हमने हमेशा उन सिद्धांतों का पालन किया है। हमने कभी किसी भाषा की उपेक्षा नहीं की। हमने अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान किया है। आज भी हम इस पर अडिग हैं। हमारी सरकार ने ही मराठी भाषा को प्राथमिकता दी थी। अब भाजपा सरकार ने यह अनावश्यक मुद्दा उठाया, लेकिन उन्हें इसे वापस लेना पड़ा। भारतीय भाषा को नीचा दिखाना ठीक नहीं है।"

कांग्रेस के ‘संगठन सृजन अभियान’ पर रमेश चेन्निथला ने कहा, "महाराष्ट्र में कांग्रेस कमेटी के संगठन सृजन का अभियान चल रहा है। हम आगामी पंचायत को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को इस संबंध में लिस्ट सौंप आज देंगे।"

उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में डर्टी पॉलिटिक्स की शुरुआत भाजपा ने की है। इसके बाद उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। हमारी पार्टी सभी भारतीयों के साथ है और सभी के साथ चलती है।"

इससे पहले, भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा को निशाने पर लिया था।

उन्होंने निशिकांत दुबे के बयान का जिक्र करते हुए कहा, "एक सांसद की भाषा और एक गुंडे की भाषा में अंतर होना चाहिए। यह सांसद या संसद की भाषा नहीं है, यह संसदीय भाषा नहीं है। अगर आपको अपनी बात कहनी है तो शब्दों और विचारों से कहिए, 'पटक-पटक कर मारना' या अभद्र भाषा का प्रयोग करना, यह भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति हो सकती है, लेकिन भारत माता की नहीं।"

बता दें कि महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद उस समय शुरू हुआ, जब राज्य सरकार ने स्कूलों में त्रिभाषा नीति को लागू करने का फैसला किया। इस फैसले का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) समेत सभी विपक्षियों ने विरोध किया। इतना ही नहीं, विवाद बढ़ने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया, लेकिन मामला हाथ से निकल जाने के बाद इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया।

 

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