Labh Panchami Significance : सौभाग्य और समृद्धि का पर्व, जानें शुभ कार्य और पूजा विधि

लाभ पंचमी: व्यवसाय और समृद्धि की नई शुरुआत का शुभ दिन
लाभ पंचमी : सौभाग्य और समृद्धि का पर्व, जानें शुभ कार्य और पूजा विधि

नई दिल्ली: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ पंचमी है, जिसे सौभाग्य और ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक वृश्चिक राशि में रहेंगे। इसके बाद धनु राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

लाभ पंचमी को आमतौर पर सौभाग्य और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के पांच दिन बाद आता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा और शुभ कार्य करने से व्यवसाय और जीवन में लाभ की प्राप्ति होती है।

यह पर्व विशेष रूप से गुजरात में मनाया जाता है और गुजराती नववर्ष के पहले कार्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ज्यादातर व्यवसायी इस दिन अपने व्यवसाय को नए सिरे से शुरू करते हैं। वे नई डायरी खोलते हैं, जिसके शुरू के पन्ने में बाईं ओर 'शुभ,' दाईं ओर 'लाभ' लिखते हैं, और केंद्र में स्वास्तिक बनाकर कारोबार की शुरुआत करते हैं। मान्यता है कि यह परंपरा मुनाफे और समृद्धि का प्रतीक है।

इस दिन कई शुभ कार्य किए जाते हैं, जो धन और सौभाग्य साथ लेकर आते हैं। इस दिन चांदी या पीतल का कछुआ खरीदकर घर लाना आर्थिक समृद्धि का सूचक माना जाता है। कारोबारी नई डायरी में 'शुभ-लाभ' और स्वास्तिक लिखकर कारोबार का प्रारंभ करने के अलावा, मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाकर सात कन्याओं को भोग करवाते हैं।

मान्यता है कि ऐसा करने से कारोबार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, पूजा स्थल और तिजोरी में हल्दी की गांठ और फूल रखने से घर में बरकत बनी रहती है, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

 

 

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