Jammu District Order: जम्मू में कूरियर से ड्रग्स तस्करी पर सख्ती, बिना वैध परिवहन परमिट पार्सल नहीं चलेगा, ट्रांजेक्शन पर भी रहेगी नजर

जम्मू में ड्रग्स तस्करी रोकने को कूरियर कंपनियों पर जिला प्रशासन का कड़ा आदेश
जम्मू में कूरियर से ड्रग्स तस्करी पर सख्ती, बिना वैध परिवहन परमिट पार्सल नहीं चलेगा, ट्रांजेक्शन पर भी रहेगी नजर

श्रीनगर:  जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स समेत प्रतिबंधित पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए कूरियर और पार्सल सेवाओं का दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है। इसे रोकने के लिए जम्मू जिला प्रशासन ने कड़ा प्रहार किया है। जिला मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में आदेश जारी कर कूरियर कंपनियों को सख्त हिदायत दी है।

आदेश के मुताबिक जिला जम्मू में कार्यरत कोई भी कूरियर कंपनी, पार्सल सेवा या लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर तब तक किसी भी मादक दवाओं, मनोदैहिक पदार्थों या अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं को स्वीकार, बुक या परिवहन नहीं करेगा, जब तक कि उसके पास एनडीपीएस नियम 1985 के तहत और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम 1940 के तहत विनियमों के अनुसार वैध परिवहन परमिट न हो। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और अगले आठ हफ्तों तक चलेगा या जब तक कोई नया आदेश नहीं दिया जाता।

आदेश में साफ कहा गया है कि कूरियर सेवाओं का दुरुपयोग कर ड्रग्स को सामान्य पार्सल की आड़ में भेजा जा रहा है। यह एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत गंभीर अपराध है, जिसमें धारा 8, 21, 22, 23, 25 और 29 के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है। अगर कोई कंपनी अपनी सेवा या वाहन का इस्तेमाल तस्करी के लिए होने देती है, तो मालिक, एमडी, निदेशक और कर्मचारी भी अपराधी माने जाएंगे।

आदेश में मादक पदार्थ भेजने और प्राप्तकर्ता का पूरा विवरण, पार्सल का विवरण, वजन, बुकिंग रसीद और बुकिंग की तारीख सहित खेपों का पूरा रिकॉर्ड रखने को कहा गया है। साथ ही प्रत्येक खेप के लिए प्राप्त भुगतान के तरीके (कैश, डिजिटल, चेक, यूपीआई, कार्ड आदि) का रिकॉर्ड भी रखना होगा।

यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कूरियर/पार्सल सेवाओं में लगे सभी कर्मचारियों (डिलीवरी कर्मचारी, लोडर, बुकिंग क्लर्क, फ्रैंचाइज़ी कर्मचारी) का सत्यापन कर रजिस्टर मेंटेन किया जाए। संदिग्ध खेपों की पहचान करने और तुरंत निकटतम पुलिस प्राधिकरण को रिपोर्ट करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाए।

आदेश का उल्लंघन करने वाली किसी भी कूरियर कंपनी/एजेंसी को व्यक्तिगत और कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

ऐसे कंपनी मालिकों, एमडी, निदेशकों, एजेंटों और सभी संबंधित कर्मचारियों पर एनडीपीएस अधिनियम, बीएनएसएस और अन्य लागू कानूनों की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। उल्लंघन करने वालों पर पार्सल जब्ती, लाइसेंस रद्दी, जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।

जिला मजिस्ट्रेट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने, निरीक्षण करने और चूककर्ताओं के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया।

आदेश में दिल्ली और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि मेसर्स डार्ट एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना कि कूरियर एजेंसियों का कानूनी कर्तव्य है कि वे संदिग्ध खेपों का पता लगाने और उनकी सूचना देने के लिए उचित तत्परता बरतें और ऐसा न करने पर कूरियर संचालकों को दंडित किया जा सकता है।

वहीं पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से माना है कि यदि कूरियर कंपनियों की सेवाओं का उपयोग मादक पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है, तो उनके प्रबंधक, मालिक, निदेशक आदि एनडीपीएस अधिनियम के तहत उत्तरदायी होंगे।

 

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