Haryana 15 August Flag Hoisting: स्वतंत्रता दिवस पर बदला हरियाणा के मंत्री अनिल विज का कार्यक्रम, अब यमुनानगर में फहराएंगे तिरंगा

हरियाणा में 15 अगस्त को अनिल विज करेंगे यमुनानगर में ध्वजारोहण
स्वतंत्रता दिवस पर बदला हरियाणा के मंत्री अनिल विज का कार्यक्रम, अब यमुनानगर में फहराएंगे तिरंगा

चंडीगढ़: हरियाणा में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित होने वाले ध्वजारोहण समारोह को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है। राज्य सरकार ने 15 अगस्त को होने वाले ध्वजारोहण कार्यक्रमों की नई सूची जारी की है। इस सूची के अनुसार, कैबिनेट मंत्री अनिल विज अब यमुनानगर में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे।

हरियाणा सरकार की ओर से जारी सूची में मंत्री अनिल विज को यमुनानगर में मुख्य अतिथि के तौर पर ध्वजारोहण के लिए नामित किया गया है। नई सूची के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस पर सुबह 9 बजे पूरे हरियाणा में ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित होंगे। राज्यपाल असीम घोष अंबाला में, जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर रोहतक में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे।

 

सूची के अनुसार, फरीदाबाद में कैबिनेट मंत्री गौरव गौतम ध्वजारोहण करेंगे, जबकि फतेहाबाद में रणवीर गंगवा, गुरुग्राम में श्याम सिंह राणा , हिसार में कृष्ण बेदी , कैथल में महिपाल ढांडा , नारनौल में विपुल गोयल , नूंह में आरती सिंह राव और पंचकूला में श्रुति चौधरी राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगी।

 

इससे पहले, जारी की गई आधिकारिक सूची में अनिल विज का कोई अलग कार्यक्रम निर्धारित नहीं था। उनका नाम सिर्फ अंबाला में राज्यपाल असीम घोष के साथ मौजूद रहने के तौर पर शामिल था। मंगलवार को हरियाणा के सूचना एवं जन संपर्क विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी दी, "स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को हरियाणा के राज्यपाल अशीम कुमार घोष अंबाला में, जबकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रोहतक में ध्वजारोहण करेंगे। ऊर्जा मंत्री अनिल विज अंबाला में राज्यपाल के साथ ध्वजारोहण समारोह में शामिल होंगे। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण पानीपत में और विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार मिड्ढा सोनीपत में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से जारी पत्र के अनुसार, पूरे राज्य में ध्वजारोहण सुबह 9 बजे होगा।"

 

गौरतलब है कि इससे पहले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत अनिल विज को चुनावी दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका में रखा गया था। उन्हें हारी हुई सीटों की जिम्मेदारी से भी दूर रखा गया था, जबकि अन्य मंत्रियों और विधायकों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं।

 

 

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