प्रजनन क्षमता पर गंभीर असर डाल रही विटामिन डी की कमी

विटामिन D की कमी पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता और हार्मोन संतुलन को प्रभावित करती है
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वॉशिंगटन: यूएस स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन डी को केवल हड्डियों के लिए नहीं, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भी जरूरी माना गया है। इस विटामिन की कमी महिलाओं में ओवुलेशन को प्रभावित करती है, जिससे प्रेग्नेंसी कंसीव करना मुश्किल हो सकता है। 

शोध में पाया गया है कि विटामिन डी का स्तर महिला के एग की गुणवत्ता और ओवुलेशन की प्रक्रिया से जुड़ा होता है। यही नहीं, इसकी कमी से एंडोमेट्रियोसिस और पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो फर्टिलिटी को और बिगाड़ देती हैं। पुरुषों के लिए भी विटामिन डी उतना ही जरूरी है। एक अध्ययन में सामने आया कि जिन पुरुषों में इस विटामिन की कमी थी, उनमें स्पर्म काउंट और स्पर्म मोटिलिटी यानी गतिशीलता काफी कम थी। यह सीधे तौर पर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को भी प्रभावित करता है, जो यौन क्षमता और फर्टिलिटी दोनों के लिए अहम होता है। 

जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरता है, तो इससे पुरुषों की प्रजनन शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। विटामिन डी भ्रूण के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है, इसलिए इसकी कमी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि कोई कपल संतान की योजना बना रहा है या फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतों का सामना कर रहा है, तो सबसे पहले विटामिन डी की जांच करानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह से इसकी पूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। समय रहते ध्यान न देने पर यह कमी इनफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन सकती है। 

ताजा शोध के अनुसार, आजकल युवाओं में इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले जहां 35-40 की उम्र में यह परेशानी सामने आती थी, वहीं अब 25 से 30 साल के लोग भी इससे जूझ रहे हैं। खराब जीवनशैली, प्रदूषण और अनहेल्दी खानपान जैसे कई कारण फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं, लेकिन एक अहम कारण विटामिन्स की कमी भी है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता पर गंभीर असर डाल सकती है। 

 

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