बीजिंग: दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। तिब्बत के ग्लेशियरों में बैक्टीरिया की 1000 नई प्रजातियां मिली हैं।इनमें से सैकड़ों के बारे में वैज्ञानिकों को कुछ भी नहीं पता।ये पिघले तो इनका पानी बैक्टीरिया के साथ चीन और भारत की नदियों में मिलेगा। जिसे पीकर लोग नई बीमारियों से संक्रमित हो सकते हैं।हालांकि इसके पीछे इंसान ही जिम्मेदार है। एक नई रिपोर्ट में भारत और चीन के लिए चिंता की बात है।
चीन के यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने तिब्बती पठारों पर मौजूद 21 ग्लेशियरों के सैंपल जमा किए थे।ये सैंपल 2016 से 2020 के बीच जुटाए गए थे।इनमें 968 प्रजातियों के बैक्टीरिया मिले।जिसमें ने 82 फीसदी बैक्टीरिया एकदम नए हैं।जिनके बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों को कोई जानकारी नहीं है.ग्लेशियर और बर्फीली चादरें धरती के 10 फीसदी सतह को कवर करते हैं।पृथ्वी पर सबसे ज्यादा साफ पानी का स्रोत इन्ही के पास है।दिक्कत ये हैं कि हजारों साल से जमा इन ग्लेशियरों के नीचे क्या है।किस तरह का वातावरण है।किस तरह के जीव और सूक्ष्मजीव रहते हैं।ये हमेशा से वैज्ञानिकों की खोज के लिए प्रमुख विषय रहा है।
वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि ग्लेशियर पिघलेगा तो क्या होगा।यहां मौजूद सूक्ष्मजीव इंसानों और अन्य जीवों पर क्या असल डालेंगे.पहले ऐसा माना जाता था कि ग्लेशियरों पर ज्यादा प्रकार के जीवन का बने रहना मुश्किल है।लेकिन पिछले साल हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि 15 हजार साल पुराने ग्लेशियर में कई प्रकार के वायरस मिले थे।नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि बढ़ते तापमान की वजह से तिब्बती पठारों के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।ये जलवायु परिवर्तन का नतीजा है।सबसे बड़ा डर ये है कि ऊंचाई पर मौजूद बैक्टीरिया बर्फ पिघलने के साथ बहकर नीचे की तरफ आएंगे।नदियों के सहारे इंसानी आबादी तक पहुंचेंगे।फिर तबाही मचा सकते हैं.स्टडी के मुताबिक ग्लेशियर की बर्फ में कैद आधुनिक और प्राचीन बैक्टीरिया जब बाहर आएंगे तो वो स्थानीय स्तर पर या फिर बड़े पैमाने पर महामारी फैला सकते हैं।
इनके साथ ऐसे वायरूलेंस फैक्टर्स भी आ सकते हैं, जिनसे इंसान, पेड़-पौधे और जानवरों को खतरा हो सकता है।वैज्ञानिकों को नहीं पता कि प्राचीन बैक्टीरिया किस तरह से इंसानों या अन्य जीवों पर असर करेंगे।इसलिए उनसे बचने के लिए जरूरी है कि ग्लेशियर को पिघलने से बचाया जाए.तिब्बत जिस जगह है, उसे 'वाटर टॉवर ऑफ एशिया' कहते हैं।यहां से एशिया की कुछ बेहद बड़ी और ताकतवर नदियां निकलती हैं।इन नदियों के आसपास घनी आबादी में लोग रहते हैं।जैसे- यांग्त्जे नदी, यलो रिवर, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी।अगर बैक्टीरिया इन नदियों के सहारे चीन और भारत की आबादी वाले इलाके तक पहुंच गया तो स्थिति बेहद बुरी हो सकती है।