इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को रद्द कर चुनाव कराने का आदेश दिया है। सूत्रों के मुताबिक अब इस फैसले को लेकर जल्द ही एक आयोग का गठन किया जा सकता है। अगले एक-दो दिन में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में कमीशन बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है बताया जा रहा है कि इस हफ्ते के आखिरी तक एक कमीशन का गठन किया जा सकता है। वहीं कोर्ट के फैसले पर योगी सरकार तुरंत एक्शन में आ गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगापरंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा है कि वह इस मसले पर विशेषज्ञों से कानूनी सलाह ले रहे हैं। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। बता दें कि इससे पहले एक जनहित याचिका के बाद कोर्ट ने चुनाव की अधिसूचना जारी करने से रोक लगा दी थी। मामले में योगी सरकार की ओर से कोर्ट में हलफनामा भी जारी किया गया था। कोर्ट के फैलने के बाद राज्य में ओबीसी आरक्षित घोषित की गईं सभी सीटें सामान्य हो जाएंगी। उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने में उचित प्रक्रिया का पालन न करने का सरकार पर कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था। दरअसल याचिकाकर्ता चाहते थे कि ओबीसी आरक्षण को लागू करने से पहले ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता हर हाल में पूरी कर ली जाएं। हाईकोर्ट की की ओर से आए फैसले में 93 याचिकाओं को एक साथ पारित किया गया है।