पटना: बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बेरोजगारों की याद आ गई है। मंगलवार को उन्होंने अपने आवास पर बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की और राज्य में 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ चुनावी वादा है या सरकार सच में युवाओं को रोजगार देने का इरादा रखती है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में बीजेपी नेताओं से राज्य के विकास, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया उनके उस बयान ने, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में 10 लाख नए रोजगार देगी। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब बिहार में चुनावी मौसम शुरू हो चुका है और सत्तारूढ़ गठबंधन को अपनी साख बचाने की चुनौती है।
बिहार में बेरोजगारी लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। राज्य के लाखों युवा हर साल रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले 10 लाख रोजगार का वादा करना नीतीश सरकार की युवाओं की नाराजगी को शांत करने की कोशिश मानी जा रही है।
यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने रोजगार देने का वादा किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश सरकार ने 19 लाख रोजगार देने का दावा किया था। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपने पिछले वादों को पूरा करने में नाकाम रही है और अब चुनावी मौसम में फिर से पुराने वादों को दोहराया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं से उनके मंत्रालयों के कामकाज की जानकारी ली और ‘प्रगति यात्रा’ के दौरान किए गए वादों को समय पर पूरा करने के निर्देश दिए। हालांकि बैठक के बाद बीजेपी नेताओं ने मीडिया से कोई बयान नहीं दिया, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि यह बैठक चुनावी रणनीति को लेकर थी।
- क्या वादा सिर्फ चुनाव तक?
बिहार की जनता यह सवाल कर रही है कि क्या यह वादा सिर्फ चुनाव तक ही सीमित रहेगा या वाकई सरकार इसे पूरा करेगी? विपक्षी दल इसे चुनावी चाल बता रहे हैं, जबकि नीतीश सरकार इसे राज्य के विकास का हिस्सा कह रही है। अब देखना होगा कि नीतीश कुमार का यह वादा बिहार के युवाओं को कितना भरोसा दिला पाता है और चुनाव के नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है।