वाशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब अपने विशाल न्यू मून रॉकेट को पहली उड़ान के लिए तैयार है। स्पेस लांच सिस्टम के नाम से विख्यात रॉकेट को 29 अगस्त की अपनी निर्धारित उड़ान के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में पैड 39B पर ले जाया जा रहा है। यह एक डेब्यू आउटिंग परीक्षण होगा, जिसमें कोई चालक दल नहीं है, लेकिन भविष्य के मिशन में नासा अंतरिक्ष यात्रियों को इस विमान की मदद से वापस चांद पर भेजेगा।
100 मीटर लंबे विशाल रॉकेट को लॉन्चिंग पैड तक लाने के लिए प्रयोग हो रहा, वाहन महज एक किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से अपनी दूरी तय कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इस 6.7 किमी (4.2 मील) की यात्रा को पूरा करने में 8-10 घंटे लग सकते हैं। नासा के अनुसार इसका बड़ा आकार बड़ी ऊर्जा पैदा करने में मदद करता है। अपोलो के सैटर्न वी रॉकेट की तुलना में एसएलएस 15 प्रतिशत अधिक थ्रस्ट पैदा करता है। यह अतिरिक्त जबरदस्त थ्रस्ट वाहन को न केवल पृथ्वी से बहुत दूर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में मदद करेगा, बल्कि इसके अतिरिक्त, अधिक उपकरण और कार्गो चालक दल लंबी अवधि के लिए पृथ्वी से दूर रह सकेगा।
इसका क्रू कैप्सूल भी क्षमता में एक कदम ऊपर है। कैप्सूल को ओरियन कहते है, यह 1960 और 70 के दशक के ऐतिहासिक कमांड मॉड्यूल की तुलना में अधिक चौड़ा होने के कारण बहुत अधिक विशाल है। नासा ने कहा है कि इस मिशन के माध्यम से वे पहली महिला को चांद पर उतारने वाले हैं।नासा ने बताया कि जैसे ही एसएलएस अपने लांच पैड पर पहुंचेगा। इंजीनियरों के पास तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ सप्ताह का समय होगा। नासा ने टेस्ट फ्लाइट के लिए 29 अगस्त का दिन तय किया है। साथ ही 2 सितंबर और 6 सितंबर के दिन को स्टैंड बाई पर रखा गया है।
यह रॉकेट चन्द्रमा के चारों ओर चक्कर लगाकर वापस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, जहां कैलिफोर्निया से दूर प्रशांत महासागर में रॉकेट क्रैश कराया जाएगा। इस टेस्ट के माध्यम से नासा रॉकेट पर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के बाद हीटशील्ड पर पड़ने वाले प्रभाव की भी जांच करेगा। टेस्ट में पास होने के बाद नासा चांद के अपने मिशन की तैयारियों में जुटेगा। नासा के साथ इस मिशन में यूरोप के दस से अधिक देश भी शामिल हैं।