रुड़की (दैनिक हाक): आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग में संचालित भारत मौसम विभाग, नई दिल्ली की ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना में कृषि-मौसम परियोजना वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत डॉ० अरविन्द श्रीवास्तव को भारत सरकार, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अंतर्गत भारत मौसम विभाग नई दिल्ली में वैज्ञानिक-डी (कृषि-मौसम विज्ञान) के पद पर चयनित किया गया है।
डॉ० श्रीवास्तव ने बताया कि जहाँ उन्हें एक ओर भारत सरकार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारत मौसम विभाग, नई दिल्ली मुख्यालय में वैज्ञानिक-डी के पद पर चयनित होने से पूरे देश के किसानों की सेवा का सुअवसर प्राप्त हुआ है वहीं दूसरी ओर कृषि क्षेत्र में मौसम सेवाओं की उपयोगिता को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में सार्थक पहल की जिम्मेदारी का भी उन्हें बखूबी अहसास है। उन्होंने कहा कि उनका पूरा प्रयास होगा कि मौसम के क्षेत्र में देश के किसानों की वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शोध की दिशा तय की जाए, जिससे आने वाले समय में मौजूदा चुनौतियों से पार पाया जा सके। उनका पूरा फोकस इस बात पर रहेगा कि कृषि क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम के प्रभाव से होने वाले नुकसान को कम करके अनुकूल मौसम का लाभ किसानों को कैसे प्रदान किया जा सकता है।
डॉ० श्रीवास्तव ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं की पहुंच तकनीक के माध्यम से देश के प्रत्येक किसान तक पहुंचाना ही उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी, जिसे नियत समय में चरणबद्ध तरीके से पूरा करने का हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।
आईआईटी रुड़की में कृषि मौसम परामर्श सेवाओं को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए शुरू की गई कई अभिनव पहल को पूरे देश में लागू करने का किया जायेगा प्रयास
कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई आईआईटी रुड़की के कार्यक्षेत्र में आने वाले हरिद्वार, देहरादून तथा पौड़ी गढ़वाल जनपद के किसानों के बीच कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं को लोकप्रिय बनाने तथा किसानों तक मौसम पूर्वानुमान एवं मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं पहुँचाने के लिए डॉ० अरविन्द श्रीवास्तव द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर तमाम प्रयास किये गए हैं। इसके अंतर्गत उनके द्वारा कृषि-मौसम परामर्श बुलेटिन पढ़ने में असमर्थ किसानों के लिए शुरू की गई “ऑडियो एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन” की अभिनव पहल की किसानों द्वारा काफी सराहना की जा रही है। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रत्येक गाँव से प्रगतिशील युवा किसान को "मौसम मित्र" के रूप में चिन्हित करके अपने गाँव का व्हाट्सप्प ग्रुप बनाकर मौसम सूचनाओं को स्वैच्छिक रूप से प्रसारित करने का जिम्मा दिया गया है। इसके तहत नियमित रूप से इन सेवाओं को प्रसारित करने वाले मौसम मित्र को प्रत्येक वर्ष आईआईटी रुड़की तथा भारत मौसम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सम्मानित करने की उनकी अनूठी पहल से सुदूर अंचल के गांवों में बसे किसानों को भी समय से बुलेटिन प्राप्त हो रहा है।
डॉ० श्रीवास्तव के विशेष प्रयासों से कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की द्वारा ब्लॉक स्तरीय बुलेटिन को किसानों तक प्रसारित करने के उद्देश्य से इसरो के सहयोग से "किसान" नाम से एक मोबाइल एप विकसित किया गया है। इस एप में किसानों को अपने सुझाव देने का भी प्रावधान किया गया है। इससे किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप बुलेटिन में सुधार किया जा सकता है।
डॉ० अरविन्द श्रीवास्तव के विशेष प्रयासों से कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की की अलग से वेबसाइट भी बनाई गई है जो तीन जनपद के किसानों की मौसम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। इसके अतिरिक्त कई लोकप्रिय सोशल साइट्स जैसे-फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर कृषि मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की का अकाउंट बनाकर मौसम सूचनाओं, विशेष कर तत्काल मौसम पूर्वानुमान, को त्वरित रूप से किसानों के बीच प्रसारित किया जा रहा है। इसका परिणाम यह है कि आज कृषि मौसम परामर्श सेवाओं की पहुंच हरिद्वार जनपद के सभी 643 गांवों तक है, जिसे तकनीक के माध्यम से जनपद के प्रत्येक किसान तक पहुँचाने के लिए सतत प्रयास जारी है।
यही नहीं डॉ० श्रीवास्तव ने गुणवत्तापूर्ण बुलेटिन बनाने के लिए जनपद की महत्वपूर्ण फसलों जैसे- धान, गेहूं, सरसों, गन्ना, मक्का, आलू; बागवानी फसल आम तथा पशुपालन, मुर्गीपालन एवं मछली पालन के लिए फसल-मौसम-कीट-रोग कैलेंडर विकसित किया है। जिसे "कृषि-मौसम परामर्श बुलेटिन बनाने के लिए आवश्यक उपकरण" नाम से एक तकनीकी बुलेटिन के रूप में प्रकाशित भी किया गया है। पूरे देश में अपने आप में यह एक अनूठी पहल है, जिसमें किसी एक जनपद की प्रमुख फसल पद्धति के आधार पर कृषि क्षेत्र की सभी फसलों के साथ-साथ पशुपालन, मुर्गीपालन व मत्स्यपालन का एक संस्करण में समावेश किया गया है।
डॉ० अरविन्द श्रीवास्तव ने बताया कि कृषि मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की के कार्यक्षेत्र में आने वाले जनपद के किसानों के हित में शुरू की गई ये सभी अभिनव पहल आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो० अजित के चतुर्वेदी तथा ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो० आशीष पाण्डेय की कृषि व किसानों के हित में व्यक्तिगत रूचि रखने के कारण उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए अनुकूल वातावरण तथा आवश्यक संसाधनों के कारण ही सम्भव हो सका है, जिसका पूरा श्रेय आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो० अजित के चतुर्वेदी तथा ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो० आशीष पाण्डेय को दिया जाना उचित होगा।
डॉ० श्रीवास्तव ने बताया कि उपरोक्त पहल को देश के अन्य राज्यों के किसानों के हित में पूरे देश में लागू करने का प्रयास किया जायेगा।