इस्लामाबाद: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। इस हमले में भारत के 28 पर्यटकों की आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हत्या कर दी है। जिसके बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जहर उगलते हुए इसे बलूचिस्तान हमले से जोड़ा है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने इसे बलूचिस्तान में हो रहे स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने एक तरह से इसे बलूचिस्तान का बदला बताने की कोशिश की है। ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा है कि हम एक नहीं कई सबूत दे चुके हैं कि बलूचिस्तान के अंदर और दूसरे इलाकों के अंदर हिंदुस्तान का हाथ है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के जहर उगलने से कुछ ही समय पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की जुगुलर वेन यानि गले का नस बताया था। सूत्रों की मानें तो इस बयान के बाद ही लश्कर-ए-तैयबा ने पहलगाम में हमला किया है। यह हमला उस वक्त हुआ है जब अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर हैं। हालांकि अभी तक जांच एजेंसियां किसी नतीजे पर नहीं पहुंची हैं। लेकिन, कई इंटेलिजेंस अफसरों का मानना है कि जनरल मुनीर के बयान से आतंकियों को हौसला मिला है। उन्होंने अपने भाषण में मुसलमानों और हिंदुओं के साथ अलग व्यवहार की बात भी की थी। इससे टीआरएफ के गुर्गे उत्साहित हो गए। वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि बलूचिस्तान में जो हो रहा है, उसमें हिंदुस्तान का हाथ है, ये उनकी सरपरस्ती है, चाहे वो अफगानिस्तान में बैठकर कर रहे हैं या कहीं और बैठकर कर रहे हैं, लेकिन इसका एक लंबा इतिहास है कि हिंदुस्तान की सरपरस्ती है, पाकिस्तान के अंदर जहां भी आतंकी हमले हो रहे हैं। यानि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री एक तरह से इसे बलूचिस्तान का बदला बता रहे हैं। जबकि भारत बलूचिस्तान में चल रहे आजादी के आंदोलन में किसी भी तरह के हाथ होने से इनकार करता रहा है।
वहीं भारतीय खुफिया जानकारी के अनुसार, लश्कर ए तैइबा का टॉप कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद इस साजिश में शामिल हो सकता है। इसके अलावा, रावलकोट के दो लश्कर कमांडरों, जिनमें से एक अबू मूसा है, उसका हाथ भी इस बर्बर आतंकवादी हमले में होने की आशंका है। डेमोग्राफी का मतलब है, जनसंख्या का ढांचा बदलना। पहलगाम में कई पीड़ितों को कलमा (इस्लामी आस्था की घोषणा) पढ़ने के लिए कहा गया, जो लोग नहीं पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई। बता दें कि पिछले हफ्ते की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खुफिया विभाग एंटी-हिंदू बयानों को एक सोची-समझी चाल मान रहा है। यह बयान वक्फ एक्ट में बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के साथ आया था। इसका मकसद पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को फिर से एकजुट करना था।