ढाका: बांग्लादेश में 2024 के जून-जुलाई से जो राजनीतिक अस्थिरता शुरू हुई है, वहां अभी खत्म नहीं हुई है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद मुल्क में नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, लेकिन इसके बाद भी बांग्लादेश में बड़े स्तर पर अराजकता हुई। हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार, हिंसा ने बांग्लादेश की छवि वैश्विक स्तर पर खराब कर दी है। डेमोक्रेसी इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट आई है, इस रिपोर्ट में बांग्लादेश 167 देशों में 100वें नंबर आया है। जो 2023 के मुकाबले 25 अंक गिरा है। रिपोर्ट ने बांग्लादेश के खराब प्रदर्शन का कारण बांग्लादेश में चुनाव में कथित धांधली और छात्रों के जबरदस्त आंदोलन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री से हटाया जाना माना है। रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी 2024 में हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी (शेख हसीना की पार्टी) पर विपक्षी दलों ने कथित तौर पर धांधली के आरोप लगाए गए थे। इसके अलावा 2024 के जून-जुलाई में नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर छात्रों में जो अशांति फैली और इसकारण विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद पूरे विश्व में बांग्लादेश की छवि को काला धब्बा लग गया था। सिर्फ इतना ही नहीं 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसकारण इस लोकतंत्र सूचकांक में 0-10 के पैमाने पर 1.44 अंक की गिरावट आई है। बता दें कि डमोक्रेसी इंडेक्स 2024 में भारत की रैंक 167 देशों में 41वीं रही है। पाकिस्तान की 124वीं, भूटान की 79वीं, नेपाल की 96वीं रैंक है। वहीं अफगानिस्तान रिपोर्ट में सबसे निचले 167वें पायदान पर है। रिपोर्ट के निदेशक ने कहा कि दुनिया के लोकतंत्र संघर्ष कर रहे हैं। इसमें अब बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। डेमोक्रेसी इंडेक्स की रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली यूनिट के मुताबिक रिपोर्ट को तैयार करने के लिए मुख्य तौर पर 60 संकेतकों पर ध्यान दिया जाता है। इन्हें भी 5 भागों में बांटा गया है- चुनावी प्रक्रिया, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिकों की आजादी। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए ये रिपोर्ट तैयार की जाती है।