ढाका, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश अगले साल चुनाव से पहले बढ़ती अनिश्चितता और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। ऐसे समय में राजनीतिक दलों के बीच सुधारों को लेकर मतभेद और सत्ता की दौड़ ने देश की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने चेतावनी दी है कि चुनाव से पहले भ्रम फैलाने और सुधार प्रक्रिया को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं। पार्टी ने इसे देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर चुनौती बताया है।
सोमवार शाम ढाका में आयोजित एक कार्यक्रम में एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और पार्टी जमात-ए-इस्लामी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "एक पार्टी स्वतंत्रता संग्राम का कार्ड खेल रही है, जबकि दूसरी धर्म का कार्ड (इस्लाम बनाम विरोधी इस्लाम) इस्तेमाल कर रही है।"
नाहिद ने आरोप लगाया कि बीएनपी और जमात को पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शन से राजनीतिक लाभ मिला था और आगामी चुनावों में भी उन्हें फायदा होने की संभावना है, लेकिन वे इसकी जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं। उन्होंने कहा, "जब भी उन प्रदर्शनों में घायल या मृतक परिवार मदद मांगते हैं, तो उन्हें हमारे पास भेज दिया जाता है।"
एनसीपी के मुख्य समन्वयक नसिरुद्दीन पटवारी ने कहा कि देश इस समय राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा कि सुरक्षा की स्थिति कमजोर है। उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें स्पष्ट करना होगा कि सुरक्षा को कमजोर कौन कर रहा है, आंतरिक ताकतें या बाहरी।"
पटवारी ने आगामी चुनाव के संदर्भ में कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि चुनाव सुधारों के समर्थन या विरोध पर आधारित हो, लेकिन कुछ समूह इसे इस्लाम समर्थक और विरोधी इस्लाम का संघर्ष दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इन समूहों से अपील की कि यह भ्रामक राजनीति छोड़ दें।
दूसरी ओर, जमात नेता शफीकुर रहमान ने आरोप लगाया कि कुछ समूह बिना सत्ता में आए ही लोगों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं। देशभर में ठगी, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था जारी है। लोगों को यह बताने के लिए मजबूर किया जा रहा है कि पहले की स्थिति खराब थी, अब और खराब हो गई है।
खुलना जिले में आठ इस्लामवादी पार्टियों के गठबंधन द्वारा आयोजित रैली में रहमान ने कहा कि सड़कों पर प्रदर्शन तब तक जारी रहेंगे, जब तक गठबंधन की पांच मांगें पूरी नहीं हो जातीं। इन मांगों में जुलाई चार्टर लागू करके जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव भी शामिल है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आवश्यक हुआ तो 'एक और 5 अगस्त' जैसी स्थिति बन सकती है।
--आईएएनएस
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