लंदन: पृथ्वी से अंतरिक्ष में 53 साल पहले लॉन्च किया गया एक स्पेसक्राफ्ट अब खतरा बन गया है। जल्द ही यह पृथ्वी पर गिरने वाला है। कहानी शुरू होती है 1972 से, जब सोवियत संघ ने शुक्र ग्रह पर उतरने का सपना देखा। लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। सोवियत संघ ने कोस्मोस 482, अंतरिक्ष यान लॉन्च किया। लेकिन आधे रास्ते में ही मिशन को खराबी का सामना करना पड़ा, जिस कारण यह धरती की कक्षा में फंस गया। आधा टन धातु का यह गोला अब अनियंत्रित होकर पृथ्वी पर गिरने वाला है। कोई नहीं जानता कि यह अनचाहा मेहमान कहां कहां गिरेगा, वापसी के बाद कितना बचेगा और कितना नुकसान पहुंचाएगा।
लैंगब्रोक का कहना है, ‘घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है।’ यह यान छोटा है, सिर्फ 500 किलो का, और अगर यह वातावरण में नहीं जला, तो भी इसका जोखिम ‘उल्कापिंड गिरने’ जैसा है। हर साल कई उल्कापिंड धरती पर गिरते हैं, और इस यान से नुकसान की संभावना उतनी ही कम है, जितना बिजली गिरने से मरने की। हालांकि अगर इसका हीटशील्ड काम कर गया तो यह बिना जले धरती पर आ सकता है। हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर के जोनाथन मैकडॉवेल ने चेतावनी दी, ‘अगर हीट शील्ड नहीं टूटा, तो यह एक बेकाबू धातु का गोला होगा, जो आसमान से गिरेगा। कोस्मोस 482 कोई साधारण स्पेसक्राफ्ट नहीं था। यह एक गोलाकार लैंडिंग कैप्सूल था, जो करीब 1 मीटर चौड़ा था, जिसे शुक्र ग्रह के जहरीले, गर्म वातावरण में उतरने के लिए बनाया गया था। इसका हीट शील्ड इतना मजबूत था कि वह कार्बन डाइऑक्साइड से भरी वीनस की हवा को झेल सकता था। लेकिन रॉकेट फेल हो जाने से यह धरती की कक्षा में अटक गया, और पिछले 53 सालों से यह धरती का चक्कर काट रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक डच वैज्ञानिक मार्को लैंगब्रोक का अनुमान है कि यह 10 मई के आसपास पृथ्वी पर गिरेगा। जब यह वापसी करेगा तब इसकी स्पीड 242 किमी प्रति घंटे होगी।