जम्मू: एनआईए को जांच में घाटी में 3 सैटेलाइट फोन के इस्तमाल के सबूत भी मिले हैं। इनके 2 फोन के सिग्नल जांच एजेंसियों ने ट्रेस कर लिए हैं। इसका मतलब है कि एनआईए अब आतंकियों के बहुत करीब पहुंच गई है। 2500 संदिग्धों में से 186 लोग अभी भी हिरासत में हैं। इन सबसे पूछताछ जारी है। फिलहालल, पूरे जम्मू-कश्मीर में एनआईए ने 100 से अधिक ठिकानों पर रेड मारी है। ये छापेमारी हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों के घर और ठिकानों पर हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद हुई इन छापेमारी में बड़ी संख्या में देश विरोधी चीजें बरामद हुई हैं, जो इस बात की इशारा कर रही है कि प्रतिबंधित होने के बावजूद में इन संगठनों ने पहलगाम हमलावरों के लिए ओवरग्राउंड वर्करों का नेटवर्क तैयार करने में मदद की थी। कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनन्तनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामूला, बांदीपोरा में करीब 100 ऐसे इन संगठनों के लोगों के यहां छापेमारी की गई, इनके कॉल रिकार्ड भी खंगाले जा रहे हैं। एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि इन प्रतिबंधित संगठनों के कुछ लोगों का ओवरग्राउंड वर्करों से लगातार संपर्क था।
पहलगाम आतंकी हमले में एनआई के शक सुई अचानक घूम गई है। पहलगाम अटैक में प्रतिबंधित अलगाववादी संगठनों के समर्थक भी एनआईए की रडार पर हैं। जी हां, प्रतिबंधित अलगाववादी संगठनों के समर्थकों की भूमिका पर भी एनआईए के शक की सुई है। पूरे जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत के कई गुटों और जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों के यहां छापेमारी हो रही है। इतना ही नहीं, पहलगाम अटैक की एनआईए जांच में बड़ा खुलासा है। सूत्रों की मानें तो पकड़े गए ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ में यह बात सामने आई है कि आतंकी हमले से दो दिन पहले बैसरन घाटी में ये आतंकी मौजूद थे।एनआईए सूत्रों को यह अंदेशा भी है कि 15 अप्रैल को ही आतंकवादी पहलगाम पहुंच गए थे। बैसरन घाटी के अलावा तीन और जगहों की रेकी गई थी। आरु घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बेताब घाटी…ये तीनो लोकेशन आतंकियों के टारगेट पर थी।