नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने एक अहम और रणनीतिक फैसला लेते हुए पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। यह फैसला पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की आपात बैठक में लिया गया। सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसमें छह नदियों का जल बंटवारा किया गया था। भारत को रावी, ब्यास और सतलुज (पूर्वी नदियां) वहीं पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां) थी।
बता दें भारत को पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग जैसे सिंचाई, बिजली उत्पादन की अनुमति थी साथ ही दोनों देशों के बीच सिंधु आयोग बनाया गया था, जिससे संबंधित किसी भी परियोजना या समस्या पर बातचीत होती थी। भारत ने अब यह घोषणा की है कि पाकिस्तान के साथ पानी से जुड़ी कोई जानकारी साझा नहीं करेगा। सिंधु आयोग की बैठक में भाग नहीं लेगा। संविदानुसार समझौते के तहत तय मुआयना और तकनीकी संवाद भी फिलहाल नहीं किए जाएंगे।
यह एक राजनयिक दबाव की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि पाकिस्तान को आतंकवाद पर उसकी जिम्मेदारी का एहसास कराया जा सके। पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले पर ऐतराज जताया है। पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है। पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने इस पर नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक बुलाई है। विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत पर संधि को राजनीति से जोड़ने का आरोप लगाया है।
बता दें 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पंजाब की नहरों और सिंधु नदी पर नियंत्रण को लेकर विवाद शुरू हुआ। भारत ने 1 अप्रैल 1948 को पाकिस्तान को दो नहरों का पानी देना बंद कर दिया था। इसके बाद कई सालों तक बातचीत चली और फिर 1960 में यह ऐतिहासिक संधि हुई।