-पिछले दो वर्षों के दौरान विभाग ने मत्स्य पालन क्षेत्रा के विकास के लिये 8562.72 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है
-पीएमएएमएसवाई योजना वित्त वर्ष 2020-2021 से वित्त वर्ष 2024-2025 के बीच सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है
पुरुषोत्तम रूपाला*
मत्स्य पालन, प्राथमिक उत्पादक क्षेत्रों में एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में, विशेष रूप से ग्रामीण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एक ‘सनराइज सेक्टर’ के रूप में माना जाने वाला यह क्षेत्र समानता, जिम्मेदारी और समावेशी तरीके से विशाल क्षमता के उपयोग की परिकल्पना करता है। यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर लगभग 28 मिलियन जलीय कृषि किसानों और मछुआरों को रोजगार देता है और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला का लगभग दोगुना है।
विकास की अपार संभावनाओं को देखते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2014 में मत्स्य पालन क्षेत्र में श्नीली क्रांतिश् का आह्वान किया और सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप मत्स्य पालन क्षेत्र की क्षमता का दोहन करने के लिए कई उपाय किए। कुछ प्रमुख केंद्रीय उपायों में शामिल हैंः (प) मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी के लिए अलग मंत्रालय का गठन (पप) स्वतंत्र प्रशासनिक ढांचे के साथ मत्स्य पालन विभाग का गठन (पपप) नीति सुधार पहल (पअ) महत्वपूर्ण अवसंरचना से जुड़ी कमियों को दूर करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 में 7,522.48 करोड़ रुपये के साथ मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष का निर्माण (एफआईडीएफ)। अब तक, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 4923.94 करोड़ रुपये मूल्य के प्रस्तावों की सिफारिश की गई है, जिनमें निजी लाभार्थियों के 120.23 करोड़ रुपये के 25 प्रस्तावों के साथ तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 20 मछली पकड़ने के बंदरगाह और 16 मछली उतारने के केंद्र (लैंडिंग) शामिल हैं।
‘नीली क्रांति’ योजना की सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना-पीएमएमएसवाई की शुरुआत की, जिसके तहत भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में 20,050 करोड़ रुपये के साथ अब तक का सबसे अधिक निवेश किया गया है। पीएमएमएसवाई को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 10 सितंबर 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य छोटे और कारीगर मछली किसानों की आय को दोगुना करना था। इस योजना का उद्देश्य उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि करना, घरेलू खपत और निर्यात आय में वृद्धि करना तथा मछली उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान में कमी लाते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र को समग्र रूप से बदलना है। पीएमएमएसवाई के शुभारंभ के दो साल पूरे होने पर आज यह आलेख लिखते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।
मछली उत्पादन बढ़ाने और कटाई के बाद फसलों के नुकसान को कम करने के लिये, आधुनिक मत्स्यपाल को अपनाना, मछली पकड़ने की गतिविधियों को उन्नत बनाना और कटाई के बाद फसलों का प्रबंधन जरूरी है। इसके लिये पीएमएमएसवाई मछुआरों, मछली पालने वालों और अन्य हितधारकों के कौशल तथा क्षमता निर्माण पर विशेष जोर देती है, ताकि उनकी प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
देश में लागू हो जाने के बाद सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में योजना का जोरदार स्वागत किया गया, तथा पिछले दो वर्षों के दौरान विभाग ने मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास के लिये 8562.72 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। यह जानकारी देना प्रेरणास्पद है कि 2019-20 के दौरान मछली उत्पादन 141.64 लाख टन से बढ़कर अब 162.53 लाख टन हो गया है।
दूसरी तरफ, भारत का मछली निर्यात अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 57,586.48 करोड़ रुपये पर कायम है। भारतीय निर्यात बाजार पर झींगा मछली का दबदबा है, विशेष तौर पर “लिटोपेनियस वन्नामेई” प्रजाति की झींगा मछली। पीएमएमएसवाई के तहत एक लाख करोड़ रुपये की कीमत का निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिये, विभाग टिलापिया, ट्राउट, पनगेसियस, कोबिया, पोमपेनो और कई अन्य प्रजातियों की गुणवत्ता तथा उत्पादन बढ़ाकर निर्यात बास्केट को विविधता देने पर ध्यान दे रहा है।
मत्स्यपालन क्षेत्र सम्बन्धी गतिविधियों और अब तक स्वीकृत परियोजनाओं ने लगभग 3.5 लाख लाभार्थियों को सीधे तौर पर और 9.7 लाख से अधिक लाभार्थियों को पूरी आपूर्ति श्रृंखला में रोजगार मुहैया कराया है। मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/कम मछली पकड़े जाने वाली अवधि के दौरान केंद्रीय सहायता के रूप में 3000 रुपये/लाभार्थी/वार्षिक द्वारा कुल 6,77,462 सीमांत मछली पालकों तथा उनके परिवार वालों को आजीविका और पोषण समर्थन प्राप्त हुआ है।
मछली उत्पादन की निरंतरता बनाये रखने, मछली सम्बंधी सतत गतिविधियों को प्रोत्साहन देने और जैव-परिवर्तन में तेजी लाने के लिये पीएमएमएसवाई ने समुद्र तथा नदी में मछली पालन कार्यक्रम को विशेष उप-गतिविधि के रूप में शुरू किया है।
अगले कुछ वर्षों में पीएमएमएसवाई का लक्ष्य रणनीतिक उपायों पर जोर देना है, जिसमें मछली पकड़ने की नौकाओं का बीमा, सतत मछली पालन को प्रोत्साहन देना, मछुआरों और मछली पालकों को समर्थन सेवायें प्रदान करना, प्रौद्योगिकी को शामिल करना, एकीकृत मत्स्य पार्क का निर्माण, मत्स्य सहकारिताओं/ एफएफपीओ का गठन कुछ अहम घटक हैं।
पीएमएमएसवाई महिलाओं, अजजा/अजा समुदायों को जलकुंभी की खेती, सजावटी मछली पालन तथा इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के जरिये वैकल्पिक आजीविका के अवसर तथा रोजगार प्रदान करने पर विशेष जोर देती है। मत्स्य क्षेत्र में महिलाओं की अहम भूमिका होती है और इसीलिये पीएमएमएसवाई महिला लाभार्थियों को 60 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करा रही है, जिसमें महिला उद्यमियों को विशेष लाभ प्रदान करना तथा मत्स्य सेक्टर में उनके प्रवेश को प्रोत्साहन देना शामिल है। अब तक, महिला लाभार्थियों के लिये 1534.05 करोड़ रुपये कीमत की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनसे कुल 37,576 महिला लाभार्थियों को समर्थन मिलेगा।
निजी क्षेत्र की भागीदारी, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिये पीएमएमएसवाई ने उद्यमी मॉडल के तहत 100 करोड़ रुपये की निधि अलग से आबंटित की है। योजना के तहत युवा उद्यमियों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे आगे आयें और मत्स्य सेक्टर में प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के जरिये समाधानों की पेशकश करें।
संस्थागत ऋण की सुविधा को सुलभ बनाने और कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से मछली पालन करने वाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधाएं प्रदान की हैं। पात्र मछुआरों को परिपूर्ण करने के उद्देश्य से, वित्त मंत्रालय और राज्य सरकार के विभागों के साथ मिलकर देश भर में केसीसी के राष्ट्रीय स्तर के अभियान चलाए जा रहे हैं।
घरेलू खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), जोकि पीएमएमएसवाई के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के पोषण संबंधी लाभों को रेखांकित करने के लिए विभिन्न राज्यों में मछली उत्सव, पाक कला से जुड़ी संगोष्ठियां, प्रदर्शन यात्राओं के आयोजन में सहायता कर रही है। इन सबके अलावा, विभाग ने 10 अगस्त 2022 को ‘फिश एंड सीफूड - 75 स्वादिष्ट व्यंजनों का संग्रह’ नाम से एक कॉफी टेबल बुक जारी की है।
विभिन्न नीतिगत सुधारों और भविष्य में शुरू किए जाने वाले विशिष्ट कदमों सहित इस किस्म के कई उपायों के माध्यम से भारत सरकार स्थायी मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की दिशा में भारतीय मत्स्यपालन क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास कर रही है।
—दैनिक हाक
*लेखक केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री हैं।