कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में महाराष्ट्र के तीन चेहरे

mukul vasnik

सबसे आगे बताए जा रहे मुकुल वासनिक

सुधीर जोशी*

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर किसकी ताजपोशी होगी, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर गांधी परिवार से ही किसी को विराजित किए जाने के प्रयासों के बीच यह कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी ऐसे व्यक्ति को बैठाया जाएगा, जिसका गांधी से भले ही पारिवारिक रिश्ता न हो, लेकिन उसकी कांग्रेस के प्रति गहरी निष्ठा होगी। कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर महाराष्ट्र कांग्रेस के किसी नेता की ताजपोशी हो सकती है। आगामी 17 अक्टूबर को होने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में महाराष्ट्र से तीन नाम सामने आ रहे हैं। 

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस सांसद मुकुल वासनिक तथा महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। इन तीनों नामों से जिस नाम की चर्चा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सबसे ज्यादा हो रही है, वह नाम है कांग्रेस के समर्पित नेता मुकुल वासनिक का। कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी के नेताओं की चाहत है कि सुशील कुमार शिंदे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए, लेकिन शिंदे की आयु बहुत ज्यादा है और उन्होंने पूर्व में कहा था कि मैं राजनीति के संन्यास लेना चाहता हूं। वर्तमान में सुशील कुमार शिंदे सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, इसलिए उनके नाम पर विचार नहीं होगा। 

वर्तमान में महाराष्ट्र कांग्रेस की कमान संभालने वाले नाना पटोले का नाम भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है। नाना पटोले महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं में सबसे आक्रामक भूमिका निभाने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुके नाना पटोले को कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। कभी भाजपा का हिस्सा रहे नाना पटोले ने राकांपा के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल को लोकसभा चुनाव में हराकर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास करा दिया था। इतना ही नहीं लोकसभा के पिछले चुनाव में नाना पटोले ने भाजपा के दिग्गज नेता नितिन गडकरी को कड़ी टक्कर दी थी। नाना पटोले की छवि वर्तमान में कांग्रेस के एक राष्ट्रीय नेता के रूप उभरी है, ऐसे में माना जा रहा है कि नाना पटोले के नाम पर आम सहमति बन सकती है।  

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए आगामी 17 अक्टूबर को मतदान होगा तथा 19 अक्टूबर मतगणना की जाएगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनावी प्रक्रिया के मुताबिक आगामी 22 सितंबर को चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी की जाएगी, जबकि 24 सितंबर से 30 सितंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे।यहां यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि अगर अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ एक उम्मीदवार ही सामने आया तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा 30 सितंबर को ही कर दी जाएगी। 

माना जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री तथा महाराष्ट्र राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे को बैठाने के प्रयास शुरु कर दिए गए हैं। पंद्रहवीं लोकसभा के महाराष्ट्र से सांसद चुने गए सुशील कुमार शिंदेआन्ध्रप्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार अच्छी तरह से संभाल चुके हैं। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री का काम देख चुके सुशील कुमार शिंदे का नाम कांग्रेस हाईकमान की दृष्टि में एक निष्ठावान कांग्रेस सिपाही के रूप में दर्ज है। 

1971 में राजनीति अपनी राजनीतिक यात्रा शुरु करने वाले सुशील कुमार शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में वर्ष 1941 में एक दलित परिवार में हुआ था।पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए सुशील कुमार शिंदे ने राज्यमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुके सुशील कुमार शिंदे ने वर्ष 1992 में राज्यसभा के सदस्य बने। जब शिंदे राज्य से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हुए उस समय सुशील कुमार शिंदे की सोनिया गांधी से नजदीकिया बढ़ीं। 

 शिंदे ने 1 9 78, 1 9 80, 1 9 85 और 1 99 0 के महाराश्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। शिंदे जुलाई 1992 से मार्च 1 99 8 के दौरान महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए चुने गए।2002 में सुशील कुमारशिंदे उपराष्ट्रपति पद का चुनाव हार गए, शिंदे को इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत ने मात दी। सुशील कुमार शिंदे 2003 से 2004 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। शिंदे 2006 से 2012 तक भारत के ऊर्जा मंत्री रहे, उसके बाद इन्होंने देश के गृह मंत्री की गद्दी संभाली। 

2014 लोकसभा चुनाव के चुनाव में सुशील कुमार शिंदे को पराजय का सामना करना पड़ा, उन्हें भाजपा केउम्मीदवार शरद बनसोड ने पराजित किया।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की होड़ में जो दूसरा नाम सामने आ रहा है, वह है महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता मुकुल वासनिक का। मुकुल वासनिक का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उसी समय से चर्चाओं में आ गया था, जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था।

मुकुल वासनिक ने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। कांग्रेस पार्टी के एक जाना माना चेहरा बन चुके मुकुल वासनिक ने बहुत ही अल्प आयु में राजनीति में कदम रखा था और वर्तमान में मुकुल वासनिक का नाम कांग्रेस के एक कद्दावर नेता के रूप में ख्यात हो चुका है। 

कांग्रेस के कुछ निकटस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुकुल वासनिक के नाम पर आम सहमति बन चुकी है और इस बात के प्रबल आसार हैं कि मुकुल वासनिक के कंधों पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंप दी जाएं। महज 25 वर्ष की आयु में ही सांसद बने मुकुल वासनिक ने राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनायी है। महाराष्ट्र के रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद मुकुल वासनिक पहली बार 1984-1989 में लोकसभा के सांसद बने थे। 1984-1986 की कालावधि मेंभारत के राष्ट्रीय छात्र संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कामकाज देख चुके मुकुल वासनिक ने भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष का काम भी बहुत ही अच्छी तरह से देख चुके हैं।मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से एक रहे हैं। मुकुल वासनिक कांग्रेस के बड़े नेता और तीन बार के सांसद बालकृष्णा वासनिक के बेटे हैं। बालकृष्ण वासनिक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से रहे हैं। वो महाराष्ट्र के बुलढाना से सिर्फ 28 साल की उम्र में लोकसभा सांसद चुने गए थे।

2009 के लोकसभा चुनाव में मुकुलवासनिक ने महाराष्ट्र के रामटेक लोकसभा सीट से जीता था। इसके पहले वो महाराष्ट्र की बुलढाणा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। 

1984 से 86 के दौरान मुकुल वासनिक कांग्रेस के छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे। मुकुल वासनिक ने 1988 से 1990 के दौरान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।1984 में बालकृष्ण वासनिक ने अपने बेटे मुकुल वासनिक के लिए बुलढाणा की सीट खाली की थी।1984 में मुकुल वासनिक सबसे कम उम्र के सांसद बने, लेकिन 1989 के चुनाव में मुकुल वासनिक को हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनकी अनदेखी नहीं की।मुकुल वासनिक को पार्टी के भीतर जिम्मेदारी दी गई।

दांडी मार्च के 75 साल पूरा होने के मौके पर मुकुल वासनिक ने उस वक्त की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए विशेष आयोजन करवाया था।कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ में मुकुल वासनिक सबसे आगे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में महाराष्ट्र कांग्रेस के जिस तीसरे नेता का नाम चर्चाओं में है, वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का है। नाना पटोले सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं।2014 के लोकसभा चुनाव नाना पटोले ने महाराष्ट्र भंडारा-गोंदिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडा था, इस चुनाव मेंराकांपा के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल को पराजित कर नाना पटोले ने यह बता दिया था कि वे एक मजबूत नेता हैं। 

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित नाना पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुए मतभेदों के बाद भाजपा को राम-राम कह दिया। कुछ दिनों नाना पटोले ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। राज्य में शिवसेना-राकांपा तथा कांग्रेस की महाविकास आघाडी सरकार में विधानसभा अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले नाना पटोले को कालांतर में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी, जिसे पटोले बखूबी निभा रहे हैं। राज्य की पूववर्ती महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल राकांपा के कारण कांग्रेस कमजोर हुई है, ऐसा कहने वाले नाना पटोले केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बोलने का दमखम भी रखते हैं, 

19 वर्ष से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम देख रही सोनिया गांधी स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अब कांग्रेस के अध्यक्ष पद का काम छोड़ना चाहती हैं। 1947 से अब तक 19 नेताओं को कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मौका मिला है, इनमें सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बने रहने का रिकार्ड सोनिया गांधी ने बनाया है। सोनिया गांधी दो दशक तक कांग्रेस का राष्ट्रीय बनने वाली पहली नेता है। 

सोनिया गांधी के बाद सबसे अधिक 6 वर्ष कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सौभाग्य राजीव गांधी को मिला। देश के पहले प्रधानमंत्री तथा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 5-5 वर्ष कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।कांग्रेस के युवराज तथा राजीव तथा सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी 2 वर्ष कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।आजादी के बाद 73वर्षाे में करीब 38वर्ष कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यगक्ष की कमान नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में ही रही है। 

2017 में जब राहुल गांधी को पहली बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी तो वे नेहरू-गांधी परिवार के पांचवें ऐसे शख्सर बन गए थे, जिन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीयअध्यकक्ष बनने का गौरव हासिल किया था। राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलीकारारी हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान छोड़ने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली। खास बात यह है कि अब तक जितने भी गैर नेहरू-गांधी परिवार के लोग ने काग्रेस के राष्ट्रीय अध्यैक्ष की कुर्सी संभाली है, वह ज्यादा समय तक इस पद पर नहीं रह सका है। 

1947 में देश की आजादी के वक्त आचार्यकृपलानी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यकक्ष थे। प्रधानमंत्री पद के लिए कराए गए मतदान में सरदार वल्लसभ पटेल के बाद सबसे ज्याादा वोट कृपलानी के लिए ही मिले थे,लेकिन महात्मो गांधी के आग्रह पर सरदार पटेल तथा कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया। 1939 में सीतारमैया कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यृक्ष पद के चुनाव में खड़े हुए थे, मगर सुभाषचंद्र बोस से वे हार गए।1948 के कांग्रेस अधिवेशन में पट्टाभि सीतारमैया को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यसक्ष चुना गया, ये1950 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यपक्ष बने रहे, इसके बाद पुरुषोत्तम दास टंडन ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली, लेकिन टंडन ने एक वर्ष बाद यानी 1951 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली, वे पांच वर्षतक अध्यक्ष पद पर बने रहे।

 जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले नेहरू परिवार के पहले व्यक्ति थे। नेहरू के बाद उच्छंगराय नवलशंकर ने कांग्रेस पांचवें राष्ट्रीय अध्यनक्ष के रूप में कमान संभाली। जवाहर लाल नेहरू की तरह ही उनकी सुपुत्री इंदिरा गांधी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली। इंदिरा गांधी  पांच वर्ष तक कांग्रेस अध्ययक्ष रहीं। इंदिरागांधी पहली बार 1959 में कांग्रेस की अध्यवक्ष बनीं और दूसरी बार वे आपातकाल के बाद 1978 में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वालों मेंनीलम संजीव रेड्डी (1960 से 1964), के कामराज (1964 से 1967), एस। निजलिंगप्पाग (1968-69), पी। मेहुल (1969 से 1970),श्बाबूश् जगजीवन राम (1970 के 1972), देवकांत बरुआ, शंकर दयाल शर्मा, राजीव गांधी,कमलापति त्रिपाठी,पी वी नरसिंह राव सीताराम केसरी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौपी गई, लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष काल में कांग्रेस को मिली कारारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम राष्ट्रीय अध्य्क्ष पद कार्यभार संभाला, इस पर सोनिया गांधी अभी-भी कार्यरत हैं। 

अब देखना यह है कि 17 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सेहरा किसके सिर पर बंधता है। क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नेहरू-गांधी परिवार के इतर किसी व्यक्ति को दिया जाएगा, या फिर इस पद पर सुशील कुमार शिंदे, मुकुल वासनिक या नाना पटोले में किसी एक महाराष्ट्र कांग्रेस नेता की कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी की जाएगी, अब इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।   

—दैनिक हाक फीचर्स

*लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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